प्रेम क्या है ? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका सही विश्लेषण या सही परिभाषा किसी के पास नहीं है या फिर अपनी – अपनी सभी के पास है। किसी के लिए प्रेम एक भाव है ; तो किसी के लिए सब कुछ। उस सब कुछ से हमारा क्या अर्थ है ? क्या उस "सब – कुछ" के लिए – हम वाक़यी जी रहे हैं ? क्या उस "सब -कुछ" के लिए हम जीवन में कुछ भी कर जाने को तैयार हैं ? क्या वो प्रेम ऐसा है जिसमें आपने अपना सब कुछ त्याग कर दिया? क्या उस प्रेम के लिए हर ग़लत भी सही लगने लगा है ? यूँ तो कयी सारे सवाल खड़े हो जाते है जब बात प्रेम की आती है । असल में प्रेम जीवन में ऐसी लहर ले आता है जिसका सोच पाना भी असम्भव लगता है । हवाओं में कुछ बदल गया है, उन सभी बदलावों में से सबसे बड़ा ये है के हमें हमारे भीतर एक अजीब सा सुकून महसूस होने लगता है। सच्चा प्रेम वो नहीं जिसके लिए आप कुछ भी करने के लिए आतुर रहते है , बल्कि सच्चा प्रेम वो है जो जीवन में ऐसे बदलाव ले आता है जिनका पता तक नहीं चलता । दिल में कोई कसक बाक़ी नहीं रहती। ज़रूरी नहीं कि किसी से अनंत प्रेम मिलने पर ही ऐसा महसूस हो, ये सुकून तब मिलता है जब दो मन मिलते है ,जब एक औरा दूसरे औरा के समान हो, तो कुछ महसूस होना लाज़मी है । वह औरा जिसके आस पास होते ही मन तृप्त सा लगे , उसका प्रेम में बदल जाना स्वाभाविक हो सकता है । और जब ऐसा प्रेम जीवन में आता है तो अचानक कुछ तो खो जाना , कुछ तो हो जाना – सम्भव हैं , परंतु ऐसा नहीं कि हर क़ीमत पर उसे अपना बना लेने की कोई जंग छिड़ गयी हो, बल्कि वो प्रेम तो एक अद्भुत सी ज्योति की तरह मन में जल रही है जिसकी चमक आँखों में हमेशा के लिए बस चुकी है जो अपने पास सभी को रोशनी दे रहा है । प्रेम वो है जो दुनिया बदलने की ताक़त रखता है , जो स्वयं अपनी क़िस्मत लिखता है । सच्चा प्रेम कभी अधूरा नहीं रहता , यदि वह सच्चा है तो अपनी राह ख़ुद बना लेता है । कुछ कड़ियाँ कमज़ोर हों , केवल तभी आप प्रेम से वंचित हो सकते हैं वरना प्रेम वो ताक़त है जिसका मुक़ाबला करना किसी के बस में नहीं। और यदि किसी कारणवश वह आपकी ज़िंदगी में नहीं भी है तब भी वह आपके जीवन के हर ख़ाली स्थान को कुछ इस तरह भर चुका के किसी से कुछ गिला ही नहीं ।
तो यह कहा जा सकता है कि प्रेम का जीवन में होना बहुत अद्भुत अनुभव है , जो आपको आत्मिक संतुष्टि प्रदान करता है।
"प्रेम आत्मिक सुकून का नाम है" ।
Like this:
Like Loading...